रसिया का वैश्विक दृष्टिकोण || Russia ka vaishvik drshtikon

 मित्रों आज के हम अपने इस लेख  के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय कूटनीति एवं इस बारे में चर्चा करेंगे कि रूस जिसे रसिया भी कहा जाता है उसका दृष्टिकोण किस प्रकार का है तथा वह संपूर्ण विश्व को तथा स्वयं को कहां तक आकता है या देखता है तथा किस प्रकार इस कार्य प्रणाली है मित्रों जैसे कि हम सभी जानते हैं कि हम अपने पिछले लेख के अंतर्गत अमेरिका के दृष्टिकोण के बारे में चर्चा कर चुके हैं तथा हम अब रूस के दृष्टिकोण के बारे में चर्चा करेंगे


Russia ka vaishvik drshtikon


मित्रों सर्वप्रथम हम रूस को देखते हैं तो संपूर्ण विश्व के धरातलीय भाग का 10% भाग केवल रूस के पास जाता था यह एक अत्यंत विशाल देश है तथा इस संपूर्ण रूप से जीतना नामुमकिन है क्योंक यह अत्यंत विशाल देश है मित्रों जैसा कि हम सभी जानते हैं की रसिया दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सैन्य शक्ति वाला देश है तथा जैसे कि हम सभी जानते हैं कि अमेरिका तथा रूस में आपस में होड लगी रहती है कि वह एक दूसरे से ऊपर निकल जाए परंतु मित्रों जैसे कि हम जानते हैं कि यूक्रेन तथा रूस आपस में दोनों एक दूसरे से 2 साल से भी अधिक के समय से जूझ रहे हैं तथा इससे यह परिणाम हुआ कि यूक्रेन के खिलाफ युद्ध लडने की वजह से अमेरिका तथा अन्य पश्चिमी देश से यूरोप के ऊपर सेंक्शन लगा देते हैं तथा इसकी इकोनॉमी को नीचे गिरने का कार्य करती है मित्रों इसमें सबसे बड़ा लाभ अमेरिका को हो रहा है क्योंकि अमेरिका कभी नहीं चाहेगा कि रूस उससे आगे निकल पाये इसलिए वह रूस को अप्रत्यक्ष तौर पर काउंटर करने में लगा है तथा उसकी इकोनॉमी को नीचे गिरने तथा उसके सैन्य बल को कम करने में लगा हुआ है तथा रूस आगे ना बढ़ पाए इसलिए अमेरिका ने वहां पर नाटो नामक संगठन की स्थापना कर रखी है तथा रूस नाटो को एक खतरे के रूप में बनता है क्योंकि अगर नाटो देशों का विस्तार होता है तो उसकी नाटो देश की सेना रुस की सीमा तक पहुंच जाएगी तथा उसके लिए खतरा उत्पन्न कर देगी इसके अलावा हम देखते हैं कि और भी कहीं क्षेत्र में अमेरिका हमेशा रुस को काउंटर करने में लगा रहता है अब रसिया विश्व को इस तरीके से देखा है वह चाहता है कि अमेरिका का अधिक से अधिक तेज खुलकर विरोध करें तथा रूस को एक नए वैश्विक मुखिया के तौर पर देखें रुस का नजरिया है यह है कि वह दुनिया को यह बात सिद्ध करवाना चाहता है कि अमेरिका एक अच्छा सुपर पावर नहीं या तथा वह विश्व का नेतृत्व नहीं कर सकता है


मित्रों जैसा कि आप सभी जानते हैं कि कोई भी देश एक दूसरे को काउंटर करने में लगा रहता है तथा रूस तथा अमेरिका यह दो कट्टर दुश्मन है जैसे कि मित्रों हम जानते हैं कि रूस भारत का साथ आजादी के बाद से दे रहा है इसका एक बड़ा कारण यह भी है कि वह भारत को अपने पाले में रखना चाहता है ताकि समय पढ़ने पर वह अमेरिका के खिलाफ रस का साथ दे सके।


Russia ka vaishvik drshtikon


इसी के साथ हम देख सकते हैं कि आज संपूर्ण विश्व एक विश्व युद्ध के मुहाने पर खड़ा हुआ है तथा रूस तथा अमेरिका एक दूसरे को खत्म करने की कसमें खा रहे हैं तथा एक दूसरे को परमाणु युद्ध के धमकी  दे रहे हैं  परंतु मित्रों जैसा कि हमें परमाणु बम का विध्वंस  के बारे में जानते हैं तथा हिरोशिमा तथा नागासाकी का उदाहरण भी हमारे सामने है इसलिए हम कह सकते हैं कि हमें बातचीत एवं कूटनीति के माध्यम से आगे बढ़ना चाहिए तथा शांति के मार्ग पर अग्रसर होना चाहिए तथा यह बात हम अपने हर एक लेख में दोहराते हैं तथा दोहराते रहेंगे

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