अमेरिका तथा ईरान की दुश्मनी के कारण || Due to enmity between America and Iran

 मित्रों जैसे कि आप सभी को पता है कि हम आजकल  हम विश्व समुदाय या फिर कहे संसार में चल रहे तनाव आर्थिक राजनीतिक रक्षा से संबंधित मामलों का विश्लेषण कर रहे हैं तथा आज हम इसी कड़ी में जानेंगे कि अमेरिका तथा ईरान की दुश्मनी का क्या कारण है तथा यह देश तो एक दूसरे को खत्म करने के लिए उतारू क्यों रहते हैं आज हम इस बारे में चर्चा करेंगे।


अमेरिका तथा ईरान की दुश्मनी के कारण


मित्रों सर्वप्रथम हम देखते हैं कि अमेरिका तथा ईरान की दुश्मनी का सबसे बड़े कारण है कि  1952 53 में अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए ब्रिटेन की खुफिया एजेंसी के साथ मिलकर ईरान में तख्तापलट  करवा देती है तथा वहां के निर्वाचित प्रधानमंत्री मोह सिद्दीकी को पद से हटवाकर उनके स्थान पर शाह राजा मौलवी को सत्ता सौंप देते है इसका सबसे बड़ा कारण था कि अमेरिका तथा ब्रिटेन तेल के बाजार पर अपना कब्जा करना चाहते थे तथा वे मिडल ईस्ट में अपना प्रभाव बढ़ाना चाहते थे इसलिए उन्होंने वहां पर  तख्तापलट करवाया था इसके बाद हम देखते हैं कि 1979 में ईरान की क्रांति हुई तथा वहां पर अमेरिका के दूतावास में रह रहे कर्मचारियों तथा वहां के नागरिकों को इरादे 444 दिन तक कैद करके रखा था परंतु उन्हें आजाद तब किया गया जब रोनाल्डो रीगल को अमेरिका के राष्ट्रपति बने तथा जिम विंटर्स वहां के राष्ट्रपति से पद से इस्तीफा दिया था इसके बाद हम देखते हैं कि ईरान तथा इराक में युद्ध चला था तथा इराक को अमेरिका का पूरा समर्थन था तथा इराक ने ईरान पर रासायनिक हथियारों को अभी प्रयोग किया था इसी के साथ हम देखते हैं कि इराक के नेता सद्दाम हुसैन को अमेरिका ने तब मारा था जब वह उनके लिए एक समस्या बन गया था इस तरह हम देख सकते हैं कि अमेरिका सबसे पहले अपना फायदा देखते हैं तथा एक दूसरे को आपस में लाडवा कर वह खुद शीर्ष पर ही बैठे रहना चाहता है इसके साथ हम देख सकते हैं कि 2013 में हसन रूहानी ईरान के राष्ट्रपति बने यह तथा आयतुल्लाह खामेनी भी नहीं तो वहां के सबसे बड़े धर्मगुरु है ही उसके बाद  2015 में बराक ओबामा के कार्यकाल में हसन रूहानी के साथ परमाणु समझौता होता है तथा यह एक बड़ी राजनीतिक सफलता थी तथा इसे यह प्रसिद्ध गया था कि अब भविष्य भी इधर-उधर कार्यक्रम में ही चलाएगा तथा वह परमाणु हमले के खतरों को नहीं पड़ेगा परंतु इसके बाद हम देखते हैं कि ट्रंप डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति मध्य है तथा भी एक तरफा परमाणु समझौते को तोड़ देते हैं इसके लिए उन्हें यूरोपीय यूनियन भी बना करता है कि आपको ईरान के साथ परमाणु समझौता नहीं तोड़ना चाहिए परंतु ट्रक पर नहीं मानते हैं और परमाणु समझौता तोड़ देते हैं तथा ईरान पर बहुत सारे परमाणु ईरान पर बहुत से प्रतिबंध लगा देते हैं तथा भरी दुनिया से उसके संपर्क काटने की पूरी कोशिश करते हैं इसके बाद हम देखते हैं कि अमेरिका ईरान के टॉप कमांडर कासिम सुलेमानी को मरवा देता है तथा इसके बाद उनकी दुश्मनी चरम पर पहुंच जाती है तथा आज भी कई मुद्दों को लेकर ईरान तथा अमेरिका में आपसी संघर्ष जारी है तथा यह अगर इन दोनों के देश से देश के बीच युद्ध होता है तब वह कब विश्व युद्ध में बदल जाए यदि कह सकते हैं क्योंकि ईरान को अज़रबैजान रूस जैसे देशों का भारी समर्थन है।


अमेरिका तथा ईरान की दुश्मनी के कारण


इसलिए मित्रों हम कहना चाहेंगे अमेरिका को संयम से काम लेना चाहिए तथा उसे किसी भी देश की अखंडता एवं संप्रभुता कोठी श्री पचानी चाहिए तथा सत्ता के लालच में या सिर्फ स्थान पर बैठे रहने की लालसा में उसे दूसरे देशों को बर्बाद नहीं करना चाहिए तथा दूसरे देशों का सहयोग करके उन्हें आगे बढ़ाने में सहायता प्रदान करनी चाहिए।

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