अमेरिका का वैश्विक दृष्टिकोण || America ka vaishvik drshtikon

मित्रों अपने आज के इस लेख के अंतर्गत हम यह जानने एवं समझने का प्रयास करेंगे कि विश्व की आर्थिक एवं सैन्य महाशक्ति अमेरिका की कार्य प्रणाली किस प्रकार है तथा उसका दृष्टिकोण कैसा है तथा वह इस संसार को किस प्रकार देखता है तथा वह किस लिए किस प्रकार अपने देश के लोगों के लिए एवं दूसरे देशों में कार्य करता है इस बारे में हम आज अपने इस लेख के अंतर्गत चर्चा करेंगे।


America ka vaishvik drshtikon


सर्वप्रथम हम देखते हैं कि संयुक्त राज्य अमेरिका एक बहुत ही विशाल देश है तथा इसकी आबादी कुल मिलाकर 34 करोड़ है तथा यह उत्तरी अमेरिका महाद्वीप में स्थित है मित्रों जैसे कि हम देखते हैं कि 1776 ईस्वी में अमेरिका को ब्रिटिशसर से आजादी मिलती है एवं आज के समय में यह विश्व का सबसे बड़ा हथियार बनाने वाला देश है एवं इस हथियारों की फैक्ट्री कहना गलत नहीं होगा दोस्तों जैसे कि हम जानते हैं कि अमेरिका अपने फायदे के लिए विश्व में हर जगह पर युद्ध भड़काए रखता है तथा उसका युद्ध भड़काए रखने का कारण यह भी है कि विश्व में जो देश अमेरिका से आगे रेस में निकलना चाहती है वह अपने क्षेत्र या फिर कहीं पड़ोसी देशों के साथ ही उलझ रहे एवं है आगे ना निकल पाए जैसे कि हम देख सकते हैं कि रूस दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी  सैन्य महाशक्ति है परंतु उसे आगे बढ़ने से रोकने के लिए एवं प्रथम स्थान पर आने से रोकने के लिए उसने नाटो नामक संगठन बनाया हुआ है एवं यूक्रेन के कंधे पर बंदूक रखकर   उसने रूस को यूक्रेन के साथ युद्ध में उलझा रखा है ताकि रूस की आर्थिक रूप  से कमर टूट जाए एवं वह आगे ना बढ़ पाए इधर हम देखते हैं कि अमेरिका ने चीन को जो कि विश्व की दूसरी सबसे बड़ी आर्थिक महाशक्ति है एवं तीसरी सबसे बड़ी सैन्य शक्ति है उसे छोटे से देश ताइवान तथा जापान आदि के माध्यम से उसके क्षेत्र में ही उलझा रखा है हम देखते हैं कि उसने उत्तर कोरिया जो की एक परमाणु संपन्न देश बन चुका है उसे वहां पर उन्होंने साउथ कोरिया तथा जापान को अपना सानिध्य दे रखा है अगर यह उत्तर कोरिया नमक देश अमेरिका पर हमला करने की सोचता है तो वह अमेरिका पर हमला करने से पहले उत्तर को दक्षिण कोरिया एवं जापान पर हमला करेगा तब तक अमेरिका को वह समझने का मौका मिल जाएगा एवं है अपनी नागरिकों की सुरक्षा कर सकेगा मित्रों  हम चीन की बात कर रही है तो हम जानते हैं कि वह भारत का साथ इसलिए दे रहा है ताकि चीन भारत के साथ ही उसे जा रहे हैं पाकिस्तान को वह सपोर्ट इसलिए करता है ताकि अगर कल को भारत विश्व वैश्विक महाशक्ति बनने की और अग्रसर  हो तो  पाकिस्तान उसको आगे बढ़ने से रोक पाए अफगानिस्तान में अमेरिका अपने इतने सारे हथियार छोड़कर इसलिए भागा है ताकि पाकिस्तान को आगे बढ़ने से रोका जा सके एवं ईरान को भी इस क्षेत्र में उलझाया रखा जा सके उसने इसराइल को समर्थन इसलिए दे रखा है ताकि कोई भी अरब का देश अमेरिका से आगे नहीं निकाल पाए एवं इजरायल के साथ ही उलझा रही यमन में गृह युद्ध वियतनाम युद्ध आदि इसके उदाहरण है तथा हम देख सकते हैं कि अमेरिका को जहां भी लगता है कि वह उससे आगे कोई देश से निकल सकता है  वहां पर युद्ध भड़का देता है एवं उन क्षेत्र के देशों को ही आपस में लडवा कर एवं अपने हथियार आदि भी बेचता है तथा उन में इसके उलट वह शांति का प्रस्ताव लेकर आ जाता है इस प्रकार हम अमेरिका के दौहरेपन को देख सकते हैं।


अमेरिका का वैश्विक दृष्टिकोण



मित्रों इस प्रकार हमें देख सकते हैं कि किस प्रकार अमेरिका की कार्यप्रणाली है एवं किस प्रकार वह कार्य करता है तथा दूसरों को आगे से दूसरे देशों को आगे से बढ़ने से रोकने के लिए वह वहां पर युद्ध आदि भड़का देता है परंतु मित्रों इसका उपसंहार  है कि इससे मानवता का संकट आ जाता है यमन में छीडे गृह युद्ध को देखकर हम देख सकते हैं कि आज वहां पर सब कुछ समाप्त होने के कगार पर है सीरिया इराक आदि इसके जीते जागते उदाहरण है और सभी विश्व के देशों को चाहिए कि वह अपने स्वार्थ हाथी को त्याग कर मानवता आदि को आगे बढ़े तथा अपने विश्व को एक सही दिशा दे।

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