चीन के आगे बढ़ाने के कारण || Due to China's advances

मित्रों आज के हम अपने लेख के माध्यम से चीन की विस्तारवादी नीति के बारे में चर्चा करेंगे तथा यह जानने तथा समझने का प्रयास करेंगे कि चीन की कार्य प्रणाली क्या है तथा वह किस बल पर इतने आगे बढ़ गया तथा जिससे कि आज उसकी आर्थिक एवं सैन्य क्षेत्र में वह इतनी बड़ी शक्ति के रूप में उभरा है तथा इसके कारण क्या है तथा भारत को भी इन से क्या सीख लेनी चाहिए इसके बारे में भी हम चर्चा करेंगे।


चीन के आगे बढ़ाने के कारण


मित्रों चीन एशिया में बसा एक विशाल देश है तथा इसकी आबादी विश्व में दूसरे नंबर पर सबसे अधिक है तथा मित्रों जैसा कि हम देखते हैं कि 1980 के दशक से 1990 के दशक तक भारत तथा चीन कुल मिलाकर बराबरी पर ही खड़े थे परंतु मित्रों ऐसा क्या हुआ कि चीन ने एकदम इतना विकास कर दिया तथा में आज विकास में बहुत से विकसित देशों को भी पीछे छोड़ दिया तथा कई देश उनका मुकाबला नहीं कर पा रहे हैं
मित्रों इसका सबसे बड़ा कारण है कि चिन्ह तथा चीन के लोगों ने बहुत सी तरक्की किया तथा उन्होंने अपने देश में आयात से ज्यादा निर्यात पर बल दिया है इसलिए आज चीन को विश्व की फैक्ट्री भी कहा जाता है तथा छोटे से छोटी लेकर बड़ी से बड़ी चीज बड़ी से बड़ी मशीन आदि आज चीन में विकसित हो रही है तथा फोन मार्केट में तो जैसे विश्व में चीन का कब्जा ही आए इसी के साथ ही हम देखते हैं कि सेमीकंडक्टर चिप्स तथा अन्य कई मामलों में भी चिन्ह बहुत से देश से आगे है तथा आज वह दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आर्थिक महाशक्ति है एवं तीसरी सबसे बड़ी सैन्य महाशक्ति है परंतु मित्रों इसके साथ हम देखते हैं कि चीन अपनी विस्तारवादी के नीति के चलते बहुत से देश को परेशान करता रहता है वह पूरे दक्षिण चीन सागर पर अपना हक जाता है था वहां के खनिज आदि को अपना बताता है मित्रों जैसे कि हम सब जानते हैं चीन के अपने पड़ोसी देशों के साथ बहुत खराब संबंध है तथा हर एक देश के साथ उसका कोई ना कोई सीमा विवाद जुड़ा हुआ है जैसे उदाहरण के लिए हम फिलिपींस मलेशिया वियतनाम आदि को ले सकते हैं तथा ताइवान  भी इसका एक जीता जागता हुआ उदाहरण है जिसके साथ चीन के संबंध की सीमा को लेकर नाराजगी है इसी के साथ हम जापान रूस के व्लादिवोस्तोक भारत के अरुणाचल प्रदेश भूटान के चिकन नेक नेपाल के कहीं हिस्से आदि को ले सकते हैं जिनका चीन के साथ दूसरे देशों के साथ विवाद है परंतु मित्रों इसी के साथ हम देख सकते हैं कि चीन अपनी विस्तार विधि नीति के चलते तिब्बत को पहले ही हड़प चुका है तथा यह बहुत से क्षेत्र को भी तड़प चुका है इसमें भारत का अक्साई चीन में शामिल है परंतु मित्रों इस बात को भी नहीं झुठलाई जा सकता है कि चीन ने बहुत तरक्की की है तथा आज बहुत से देश है उसके दौड़ में पीछे हैं परंतु मित्रों इनका दृष्टिकोण है कि यह सर्वप्रथम अपना फायदा देखते हैं तथा चीन में कम्युनिस्ट पार्टी का शासन आया तथा वहां पर सिर्फ पूरे देश में एक ही पार्टी है तथा उसी में से एक व्यक्ति का चुनाव होता है जो कि राष्ट्रपति तथा प्रधानमंत्री के पद को संभालता है।

चीन के आगे बढ़ाने के कारण


 परंतु मित्रों चीन को अपनी नीति में सुधार करना चाहिए तथा दूसरे देशों की अस्मिता अखंडता एवं संप्रभुता को हानि नहीं पुरानी चाहिए तथा दूसरे के देशों के साथ मिलकर विश्व कल्याण के लिए कार्य करना चाहिए।


मित्रों इसी के साथ हम देखते हैं कि चीन ने अपने रेल नेटवर्क को भी  अधिक बढ़ाया है तथा इंफ्रास्ट्रक्चर में भी भारी निवेश किया तथा अपने देश में व्यापारियों को भी सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई है इसी के साथ उन्होंने आत्मनिर्भर बनकर श्याम के देश को बहुत फायदा पहुंचाया तथा अपने लोगों का विकास किया है तथा भारत को सीख लेनी चाहिए कि वह भी आत्मनिर्भर बने तथा स्वदेशी माल को अपनी तथा अपने देश के लोगों को ही फायदा पहुंचाएं

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